Sunday, December 7, 2014

कुछ बरस पुराना चेहरा
उत्साह से सवाल पूछता है
इस नए चेहरे से
कहता है
यहीं मैं पिछड़ गया न
तुम-सा नहीं बन पाया
ऐसा चिकना और तेजवंत नहीं बन पाया
नया चेहरा देखता है
पुराने का उत्साह
और रहना चाहता है गंभीर
जिससे कुछ गंभीर उत्तर दे सके
पर हड़बड़ाकर दे बैठता है कुछ जवाब
हाँ तुम पिछड़ गए हो
मुझसे नहीं बन सके हो
तुम्हारी खिलखिलाहट में गाम्भीर्य नहीं है।
तुम संघर्षी से विचार निरापद हो
तुम्हारा चेहरा पिछड़ेपन को गहराता है
मेरा चेहरा विकास का बदलाव का
प्रगति का तरक्क़ी का
और उन्नति का प्रतीक है
तुम्हारे चेहरे की बेअदबी सी अदबी
और बौद्धिकता से शून्य मासूमियत ने
तुम्हें चार बरस पीछे के समय से
मशक्क़त करने को छोड़
मुझे चेहरा नया
और तुम्हें पुराना बना दिया है।