सपने हैं, सपने देखने वाली आँखें हैं और उन स्वप्निल आँखों में है- स्वप्न में जीवन या जीवन में स्वप्न की उधेड़बुन। बस इसी उधेड़बुन से लड़ती और जूझती हुई ...
तुम हो
तो मैं पूरी हूँ
आँसू भी तो आँखों का गहना होते हैं
जैसी हूँ
जहाँ हूँ
तुम्हारे साथ तो हूँ
जैसे तुम चाँद और मैं धरती
कोई देखे तो चाँदनी रात में
धरती का श्रृंगार कैसा होता है।