सपने हैं, सपने देखने वाली आँखें हैं और उन स्वप्निल आँखों में है- स्वप्न में जीवन या जीवन में स्वप्न की उधेड़बुन। बस इसी उधेड़बुन से लड़ती और जूझती हुई ...
Thursday, June 6, 2013
साथ
तुम हो
तो मैं पूरी हूँ
आँसू भी तो आँखों का गहना होते हैं
जैसी हूँ
जहाँ हूँ
तुम्हारे साथ तो हूँ
जैसे तुम चाँद और मैं धरती
कोई देखे तो चाँदनी रात में
धरती का श्रृंगार कैसा होता है।
सुन्दर !
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