Thursday, August 27, 2015

दरख़्तों के साए में..

मम्मी-पापा 


आज पापा अपनी 36 साल 8 महीने लम्बी नौकरी से सेवानिवृत हो रहे हैं। पीछे मुड़ कर बीते हुए को झाँकना आज बड़ा सुकून देता है इस आज के पीछे मेरी माँजी और मम्मी-पापा की एक लंबी संघर्षभरी यात्रा रही जिसकी नींव पर खड़ा होकर आज हमारा पूरा परिवार यह खूबसूरत दिन देख रहा है। पीछे मुड़कर झाँकना चाहो तो माँजी की बताई बातों को याद करते हुए जो चित्र खिंचता है- देहात का एक 19-20 साल का छरहरा सा लड़का दिल्ली में कभी किसी साड़ी की दुकान पर सप्लायर की नौकरी कर रहा था तो कभी प्राइवेट स्कूल में। कभी ट्यूशन पढ़ा रहा था तो कभी कुछ और प्रक्रम कर रहा था। जिसे अपनी बी.एससी छूटने का कई सालों तक भीतर ही भीतर अपार दुःख सालता रहा, ऐसा दुःख जो कभी किसी को बताया या जताया नहीं गया बस ज़िन्दगी के पीले पड़ते पन्नों पर दर्ज़ होता रहा। जिसे मालूम था कि वो एक सफ़र पर है जहाँ रुकना ठहरना, ठहरकर साँस लेना ज़िन्दगी की खिड़कियों और चौखटों को बंद करना था वो चलता रहा, आगे आन पड़ी हर स्थिति को स्वीकारता चला, गडमड पड़े रास्तों को सपाट करता चला। वहां से चल पड़ा सफ़र त्रिलोकपुरी के नगरनिगम के स्कूल से मौजपुर अशोक नगर को होता हुआ आज नन्द नगरी के उच्चतर स्कूल तक आ पहुंचा है और आज पीछे मुड़कर इन 37 बेहतरीन सालों में घिस-घिसकर बने आज को देखना बड़ी तसल्ली देता है कि हमें अपने पिता से मिल्क़ियत के तौर पर जो मिला है वह है- संघर्षों से भरी ज़िन्दगी पर पार कैसे पाया जाता है ऊँचे नीचे उन रास्तों के गड्ढों को अपने हौंसलों से कैसे भरा जाता है।
माँजी 
सेवानिवृत्ति आराम और विराम से न चाहते हुए भी जुड़ जाती है पर पापा के लिए आश्वस्त हूँ कि यहाँ आराम विराम समाप्त जैसे शब्दों के लिए कोई स्पेस नहीं होगा इन बँधी-बँधाई नौकरियों से जुड़ना आजीविका के लिए ज़रूरी होता है और किसी भी काम को शिद्दत और पूरे समर्पण से करना आदत होती है। इन तमाम चीज़ों के बावज़ूद 37 सालों की यह नौकरी एक घेरा थी जिसके दरवाज़ों की साँकलें अब खुल चुकी हैं। यह उनकी एक नई पारी की शुरुआत होगी। उनकी ही नहीं मेरी माँ की भी, जो शादी के 39 सालों में पापा के साथ बराबर इन ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर खटती रही है। दोनों खूब घूमें। पूरी दुनिया घूमें। अपने दुःखी मन से रोज़ी के लिए पीछे छूटे गाँवों को एक बार फिर से निहारे। पापा काला चश्मा लगाकर फोटो खिंचवाए और मम्मी चेस्टर पहनकर। मेरी सारी दुआएँ आप दोनों को।