Tuesday, July 9, 2013




औरत और नारी के बीच के
कशमकश को मिटा
मैं
स्त्री बनना चाहती हूँ
औरत अबला बनकर रह जाती है
नारी मूरत बन पूजी जाती है
पर स्त्री होना
एक छटपटाहट है
आगे बढ़ने की
एक अकुलाहट है
अपना रास्ता बनाने की
एक इच्छा है
अपना हक़ पाने की।

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