सपने हैं, सपने देखने वाली आँखें हैं और उन स्वप्निल आँखों में है- स्वप्न में जीवन या जीवन में स्वप्न की उधेड़बुन। बस इसी उधेड़बुन से लड़ती और जूझती हुई ...
Wednesday, July 3, 2013
खोज..
किताबों के बीच
पन्नों के बीच
पंक्तियों के बीच
शब्दों के बीच
बीत रही है कुछ ज़िंदगियाँ
जिनमें
वह खोजती है
कोई चेहरा
कोई मुस्कान
कोई बात
कोई याद
और
कोई इंसान।
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