Wednesday, July 3, 2013

साहचर्य




मेरा प्रेम आवश्यकता और विकल्प का प्रेम नहीं है
पर तुम नहीं समझते
पुरुष का स्त्री को ये न समझना ही
स्त्री-पुरुष के साहचर्य का निर्धारण करता है
क्योंकि जिस दिन मुझे समझ जाओगे
साहचर्य की इति हो जाएगी
तो अच्छा है
इसी मँझधार में हम दोनों
फंसे रहे
समझकर भी नासमझ यूँ ही
बने रहे।

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