सपने हैं, सपने देखने वाली आँखें हैं और उन स्वप्निल आँखों में है- स्वप्न में जीवन या जीवन में स्वप्न की उधेड़बुन। बस इसी उधेड़बुन से लड़ती और जूझती हुई ...
Tuesday, July 9, 2013
इन अनमनाते-से दिनों के धुंधलके में
अनमनाती-सी मैं
और वे भीनी-भीनी
अनमनी-सी यादें
एक-दूसरे का बारी-बारी
अनमना-अनमना कर साथ देती हैं।
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