जब मिलन का क्षितिज हो जाता है आँखों से ओझल
तब जीवन जीना भी बन जाता है खुद पर बोझल
तुम क्या जानो क्या होता है
जब जीवन की हर आस मिट जाती है
हर इच्छा के पूरी होने से पहले ही साध चुक जाती है
तुमने जब तक चाहा घूमें आँखों के इन गलियारों में
जब मन भर गया दुनिया बसा ली कहीं और ही के चाँद सितारों में..!
तब जीवन जीना भी बन जाता है खुद पर बोझल
तुम क्या जानो क्या होता है
जब जीवन की हर आस मिट जाती है
हर इच्छा के पूरी होने से पहले ही साध चुक जाती है
तुमने जब तक चाहा घूमें आँखों के इन गलियारों में
जब मन भर गया दुनिया बसा ली कहीं और ही के चाँद सितारों में..!
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