सपने हैं, सपने देखने वाली आँखें हैं और उन स्वप्निल आँखों में है- स्वप्न में जीवन या जीवन में स्वप्न की उधेड़बुन। बस इसी उधेड़बुन से लड़ती और जूझती हुई ...
Sunday, September 27, 2015
2014
आज तुम बड़े याद आए कुछ किताबों में बसी तुम्हारी खुशबू की मानिंद....!!
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