तमाम अनिश्चिंतताओं निराशाओं में
नफ़रत से रिसते मवाद में
जीने को अभिशप्त हो चुके हैं
पर
नाउम्मीदी के इस अंधड़ में भी
ज़िंदा रखी है उम्मीद की लौ..!
नफ़रत से रिसते मवाद में
जीने को अभिशप्त हो चुके हैं
पर
नाउम्मीदी के इस अंधड़ में भी
ज़िंदा रखी है उम्मीद की लौ..!
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