पुरानी जगहों पर हम
लौट-लौट आते हैं
जहाँ से मनभर
मन भरकर गए थे
जैसे कोई हत्यारा
अपनी ही शिनाख़्त के
सबूत जुटाने आया हो।
जैसे किसी कब से टूटे हुए
तागे के सिरे को ढूँढ़ते आये हो।
जैसे सदियों से
अपनी ही लाश को ढोते हुए
उनके जीवाश्म ढूँढने आए हों।
लौट-लौट आते हैं
जहाँ से मनभर
मन भरकर गए थे
जैसे कोई हत्यारा
अपनी ही शिनाख़्त के
सबूत जुटाने आया हो।
जैसे किसी कब से टूटे हुए
तागे के सिरे को ढूँढ़ते आये हो।
जैसे सदियों से
अपनी ही लाश को ढोते हुए
उनके जीवाश्म ढूँढने आए हों।
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