Tuesday, May 9, 2017

मेरा प्यारा खरगोश.!

तुम और मैं
वक़्त की रेत में धँसे जीवाश्म हैं
 निर्वात में भी
 जैसी हूँ, जहाँ हूँ
 तुम्हारा अवशेष मात्र हूँ
 खरगोश के लिए
आँसुओं के झारे में पनपी हुई
 उसकी प्यारी कुशा हूँ।

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